दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लोकसभा से करीब सात घंटे की चर्चा के बाद पास हो गया. अब बिल को राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह बुधवार यानि कल पेश करेंगे. लोकसभा में उम्मीद के मुताबिक मोदी सरकार आसानी से बिल को पास कराने में कामयाब रही. बिल के समर्थन में 311 मत पड़े और विरोध में 80.
मोदी सरकार के लिए बिल को पास कराने में राज्यसभा में चुनौती मानी जा रही थी जहां एनडीए के पास पूर्ण बहुमत नहीं है. हालांकि ये चुनौती जेडीयू, शिवसेना, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने अब करीब-करीब खत्म कर दी है. इन दलों ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया है. साफ है कि ये दल राज्यसभा में भी सरकार के साथ नजर आएंगे. राज्यसभा में फिलहाल सदस्यों की कुल संख्या 239 है. अगर सदन के सभी सदस्य मतदान करें तो बहुमत के लिए 119 वोट की जरूरत पड़ेगी. इस आंकड़े तक सरकार पहुंचती हुई दिखाई दे रही है.
जेडीयू ने बदला रुख
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन में है. नागरिकता संशोधन बिल का कल जेडीयू ने अचानक रुख में बदलाव किया और बिल का समर्थन किया. इससे पहले तक जेडीयू बिल का विरोध करती रही थी. प्रशांत किशोर ने पार्टी के ताजा रुख पर कड़ी आपत्ति जताई है.
शिवसेना का मिला साथ
शिवसेना नागरिकता संशोधन बिल का पहले से समर्थन करती रही है. हालांकि महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के बाद माना जा रहा था कि शिवसेना बिल को लेकर रुख बदल सकती है लेकिन पार्टी ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में वोट किया.
राज्यसभा में क्या कहता है सरकार का संख्या बल?
दल और उसकी संख्या
बीजेपी- 83
एआइएडीएमके- 11
बीजेडी-7
जेडीयू-6
अकाली दल-3
शिवसेना-3
वाईएसआर कांग्रेस-2
एजीपी-1
एनपीएफ-1
पीएमके-1
आरपीआई-1
एलजेपी-1
कुल संख्या-120
विपक्षी दल और उसकी संख्या
कांग्रेस-46
टीएमसी-13
समाजवादी पार्टी -9
टीआरएस-6
सीपीएम-6
आरजेडी-4
डीएमके-5
आप-3
पीडीपी-2
बीएसपी-4
एनसीपी-4
केसीएम-1
आईयूएमएल-1
कुल संख्या-104
नागरिकता संशोधन बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है. इसमें मुस्लिम का जिक्र नहीं है.
निचले सदन में विधेयक पर सदन में सात घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों के यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है. ये लोग भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी.
शाह ने कहा, ‘‘ मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता. अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती.’’ उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौता काल्पनिक था और विफल हो गया और इसलिये विधेयक लाना पड़ा . विपक्षी पार्टियों ने इस बिल को असंवैधानिक बताया है. बिल के खिलाफ पूर्वोत्तर के राज्यों में भारी प्रदर्शन हो रहे हैं.